Surya Chalisa का नियमित पाठ करने से जीवन में सफलता, स्वास्थ्य और मन की शांति प्राप्त होती है। सूर्य देव को वेदों में ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक माना गया है। सूर्य चालीसा का पाठ न केवल मानसिक शांति देता है, बल्कि शरीर को भी स्वस्थ बनाता है। इस लेख में हम जानेंगे Surya Chalisa के चमत्कारी लाभ, सही पाठ विधि और इससे जुड़ी विशेष बातें।
सूर्य देव
सूर्य देव को प्रत्यक्ष देवता कहा जाता है क्योंकि वे प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देते हैं। वेदों में सूर्य को ऊर्जा, प्रकाश और जीवन का स्रोत माना गया है। सूर्य देव को भगवान विष्णु का स्वरूप भी कहा जाता है। मान्यता है कि सूर्य देव की पूजा से स्वास्थ्य, बुद्धि और आत्मबल की प्राप्ति होती है।
पुराणों के अनुसार, सूर्य देव की उपासना से सभी ग्रहों के दोष शांत हो जाते हैं। सूर्य देव के आशीर्वाद से व्यक्ति को आत्मबल, तेजस्विता और निर्णय शक्ति मिलती है। सूर्य देव को अर्घ्य देना, गायत्री मंत्र का जाप और सूर्य चालीसा का पाठ करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं।
सूर्य चालीसा लिरिक्स हिन्दी में (Surya Chalisa Lyrics in Hindi)
दोहा
कनक बदन कुंडल मकर, मुक्ता माला अंग।
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के संग।।
चौपाई
जय सविता जय जयति दिवाकर, सहस्रांशु सप्ताश्व तिमिरहर।
भानु, पतंग, मरीची, भास्कर, सविता, हंस, सुनूर, विभाकर।
विवस्वान, आदित्य, विकर्तन, मार्तण्ड, हरिरूप, विरोचन।
अम्बरमणि, खग, रवि कहलाते, वेद हिरण्यगर्भ कह गाते।
सहस्रांशु, प्रद्योतन, कहि कहि, मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि।
अरुण सदृश सारथी मनोहर, हांकत हय साता चढ़ि रथ पर।
मंडल की महिमा अति न्यारी, तेज रूप केरी बलिहारी।
उच्चैश्रवा सदृश हय जोते, देखि पुरन्दर लज्जित होते।
मित्र, मरीचि, भानु, अरुण, भास्कर, सविता,
सूर्य, अर्क, खग, कलिहर, पूषा, रवि,
आदित्य, नाम लै, हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै।
द्वादस नाम प्रेम सो गावैं, मस्तक बारह बार नवावै।
चार पदारथ सो जन पावै, दुख दारिद्र अघ पुंज नसावै।
नमस्कार को चमत्कार यह, विधि हरिहर कौ कृपासार यह।
सेवै भानु तुमहिं मन लाई, अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई।
बारह नाम उच्चारन करते, सहस जनम के पातक टरते।
उपाख्यान जो करते तवजन, रिपु सों जमलहते सोतेहि छन।
छन सुत जुत परिवार बढ़तु है, प्रबलमोह को फंद कटतु है।
अर्क शीश को रक्षा करते, रवि ललाट पर नित्य बिहरते।
सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत, कर्ण देश पर दिनकर छाजत।
भानु नासिका वास करहु नित, भास्कर करत सदा मुख कौ हित।
ओठ रहैं पर्जन्य हमारे, रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे।
कंठ सुवर्ण रेत की शोभा, तिग्मतेजसः कांधे लोभा।
पूषा बाहु मित्र पीठहिं पर, त्वष्टा-वरुण रहम सुउष्णकर।
युगल हाथ पर रक्षा कारन, भानुमान उरसर्मं सुउदरचन।
बसत नाभि आदित्य मनोहर, कटि मंह हंस, रहत मन मुदभर।
जंघा गोपति, सविता बासा, गुप्त दिवाकर करत हुलासा।
विवस्वान पद की रखवारी, बाहर बसते नित तम हारी।
सहस्रांशु, सर्वांग सम्हारै, रक्षा कवच विचित्र विचारे।
अस जोजजन अपने न माहीं, भय जग बीज करहुं तेहि नाहीं।
दरिद्र कुष्ट तेहिं कबहुं न व्यापै, जोजन याको मन मंह जापै।
अंधकार जग का जो हरता, नव प्रकाश से आनन्द भरता।
ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही, कोटि बार मैं प्रनवौं ताही।
मन्द सदृश सुतजग में जाके, धर्मराज सम अद्भुत बांके।
धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा, किया करत सुरमुनि नर सेवा।
भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों, दूर हटत सो भव के भ्रम सों।
परम धन्य सो नर तनधारी, हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी।
अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन, मध वेदांगनाम रवि उदय।
भानु उदय वैसाख गिनावै, ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै।
यम भादों आश्विन हिमरेता, कातिक होत दिवाकर नेता।
अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं, पुरुष नाम रवि हैं मलमासहिं।
दोहा
भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य।
सुख सम्पत्ति लहै विविध, होंहि सदा कृतकृत्य।।
सूर्य चालीसा कैसे पढ़ें (विधि)
Surya Chalisa का पाठ करने से पहले कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है:
- प्रातःकाल सूर्योदय के समय स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- सूर्य की ओर मुख करके आसान पर बैठें।
- तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें लाल फूल और अक्षत डालें।
- सूर्य देव को अर्घ्य देते समय “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें।
- इसके बाद सूर्य चालीसा का शांत मन से पाठ करें।
- पाठ समाप्त होने के बाद भगवान सूर्य को धन्यवाद दें।
सूर्य चालीसा हिंदी में pdf (Surya Chalisa pdf in Hindi)
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सूर्य चालीसा विडियो (Surya Chalisa video)
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सूर्य चालीसा पाठ के फायदे (Surya Chalisa Benefits)
Surya Chalisa का नियमित पाठ करने से अनेक लाभ होते हैं:
✔️ शारीरिक और मानसिक ऊर्जा में वृद्धि होती है।
✔️ नेत्रों की ज्योति बढ़ती है और नेत्र रोगों से मुक्ति मिलती है।
✔️ आत्मबल और निर्णय शक्ति मजबूत होती है।
✔️ ग्रहों के दोष शांत होते हैं और जीवन में सुख-शांति आती है।
✔️ कार्यों में सफलता और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
सूर्य चालीसा का पाठ करने की विधि (How to Chant Surya Chalisa)
Surya Chalisa के पाठ की सही विधि इस प्रकार है:
- सूर्योदय के समय पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- सूर्य देव का ध्यान करें और “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें।
- Surya Chalisa का पाठ शांत मन से करें।
- पाठ के दौरान पूर्ण श्रद्धा और विश्वास बनाए रखें।
- अंत में सूर्य देव को अर्घ्य देकर आशीर्वाद प्राप्त करें।
सूर्य चालीसा का महत्व (Importance of Surya Chalisa)
सूर्य चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को तेजस्विता और आत्मविश्वास मिलता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और स्वास्थ्य में सुधार लाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य ग्रह की स्थिति कमजोर होने पर सूर्य चालीसा का पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है। सूर्य देव की कृपा से व्यक्ति को मान-सम्मान, स्वास्थ्य और सफलता प्राप्त होती है।
सूर्य चालीसा के पाठ से जुड़े विशेष नियम (Special Rules for Surya Chalisa Chanting)
- सूर्य चालीसा का पाठ सूर्योदय के समय ही करें।
- स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर पाठ करें।
- पाठ के दौरान ध्यान एकाग्र रखें।
- सूरज के समक्ष दीप जलाकर पाठ करें।
- पाठ के बाद भगवान सूर्य को धन्यवाद देना न भूलें।
सूर्य चालीसा के पाठ के दौरान ध्यान देने योग्य बातें (Things to Keep in Mind While Chanting Surya Chalisa)
- सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद चालीसा का पाठ न करें।
- पाठ के दौरान शुद्ध उच्चारण का पालन करें।
- पाठ के समय मोबाइल फोन और अन्य विकर्षण से दूर रहें।
- मन शांत रखें और पूरी श्रद्धा से पाठ करें।
- चालीसा का पाठ करने के बाद सूर्य मंत्र का जाप करें।
10 FAQs about Surya Chalisa
प्र. 1. सूर्य चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
उत्तर: प्रतिदिन एक बार या रविवार को अवश्य करें।
प्र. 2. सूर्य चालीसा का पाठ किस समय करना चाहिए?
उत्तर: सूर्योदय के समय करना शुभ माना जाता है।
प्र. 3. सूर्य चालीसा का पाठ किस दिशा की ओर मुख करके करें?
उत्तर: पूर्व दिशा की ओर मुख करके करें।
प्र. 4. क्या सूर्य चालीसा का पाठ किसी विशेष दिन करना चाहिए?
उत्तर: रविवार का दिन सूर्य चालीसा के पाठ के लिए विशेष शुभ होता है।
प्र. 5. सूर्य चालीसा का पाठ करने से स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: इससे मानसिक और शारीरिक ऊर्जा बढ़ती है।
प्र. 6. क्या सूर्य चालीसा का पाठ ग्रहों के दोष शांत कर सकता है?
उत्तर: हां, सूर्य ग्रह के दोष शांत होते हैं।
प्र. 7. सूर्य चालीसा पाठ के दौरान कौन-से मंत्र का जाप करना चाहिए?
उत्तर: “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें।
प्र. 8. क्या सूर्य चालीसा का पाठ संध्या के समय किया जा सकता है?
उत्तर: नहीं, सूर्योदय के समय करना ही शुभ है।
प्र. 9. सूर्य चालीसा का पाठ कितनी बार करना शुभ है?
उत्तर: प्रतिदिन एक बार पाठ करना शुभ होता है।
प्र. 10. क्या सूर्य चालीसा के पाठ से करियर में सफलता मिल सकती है?
उत्तर: हां, सूर्य देव की कृपा से सफलता मिलती है।
निष्कर्ष:
Surya Chalisa का पाठ करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह न केवल स्वास्थ्य में सुधार लाता है, बल्कि मानसिक शक्ति भी बढ़ाता है। सूर्य चालीसा के नियमित पाठ से ग्रहों के दोष शांत होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
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