श्री राम रक्षा स्तोत्र: एक दिव्य सुरक्षा कवच

श्री राम रक्षा स्तोत्र: एक दिव्य सुरक्षा कवच

श्री राम रक्षा स्तोत्र एक अत्यंत प्रभावी और शक्तिशाली हिन्दू मंत्र है, जिसे भगवान श्री राम की उपासना और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए जाप किया जाता है। यह स्तोत्र श्री राम के दिव्य रूप की रक्षा और समस्त परेशानियों से मुक्ति की कामना करता है। श्री राम रक्षा स्तोत्र को विशेष रूप से संकटों, मानसिक तनाव, और बुरी परिस्थितियों से उबरने के लिए पढ़ा जाता है। यह स्तोत्र भगवान श्री राम की पूजा के सर्वोत्तम उपायों में से एक माना जाता है।

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श्री राम रक्षा स्तोत्र का महत्त्व:

श्री राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य और दैवीय आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। यह स्तोत्र भगवान श्री राम के अस्तित्व को समझाता है और उनके द्वारा दी गई सुरक्षा के विश्वास को दृढ़ करता है। इस स्तोत्र में भगवान श्री राम के विभिन्न नामों का उल्लेख किया गया है, जिनके उच्चारण से समस्त दुष्कर्म और विघ्न समाप्त हो जाते हैं।

श्री राम रक्षा स्तोत्र के लाभ:

  1. सुरक्षा और रक्षा: इस स्तोत्र का नियमित जाप करने से भगवान श्री राम की कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन में सुरक्षा प्रदान करती है।
  2. विघ्नों का नाश: किसी भी प्रकार की मानसिक, शारीरिक या आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
  3. शांति का अनुभव: इस स्तोत्र का जाप करते समय मानसिक शांति और संतुलन की अनुभूति होती है।
  4. भाग्य में सुधार: यह स्तोत्र व्यक्ति के भाग्य में सकारात्मक बदलाव लाता है और जीवन में सुख-समृद्धि का संचार करता है।
  5. भय से मुक्ति: जो लोग किसी प्रकार के भय या दहशत का सामना कर रहे हैं, उनके लिए यह स्तोत्र अति प्रभावी है।

श्री राम रक्षा स्तोत्र का पाठ विधि:

  1. शुद्ध अवस्था में बैठें: सबसे पहले, एक स्वच्छ स्थान पर आराम से बैठें और ध्यान लगाएं।
  2. पवित्र जल का छिड़काव करें: अगर संभव हो तो पवित्र जल का छिड़काव करें और स्वयं को शुद्ध करें।
  3. श्री राम रक्षा स्तोत्र का उच्चारण करें: अब इस स्तोत्र का जाप करें। यदि आपको पूरी स्तोत्र का पाठ याद नहीं है, तो आप इसे लिखित रूप में पढ़ सकते हैं।
  4. समाप्ति: जाप के बाद, भगवान श्री राम की आराधना करें और उनका आभार व्यक्त करें।

श्री राम रक्षा स्तोत्र लिरिक्स:

श्री राम रक्षा स्तोत्र का प्रारंभ इस प्रकार होता है:

विनियोग:
अस्य श्रीरामरक्षास्त्रोतमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः ।
श्री सीतारामचंद्रो देवता ।
अनुष्टुप छंदः। सीता शक्तिः ।
श्रीमान हनुमान कीलकम ।
श्री सीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्त्रोतजपे विनियोगः ।

अथ ध्यानम्‌:
ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपदमासनस्थं,
पीतं वासो वसानं नवकमल दल स्पर्धिनेत्रम् प्रसन्नम ।
वामांकारूढ़ सीता मुखकमलमिलल्लोचनम्नी,
रदाभम् नानालंकारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डलम् रामचंद्रम ॥

राम रक्षा स्तोत्रम्:
चरितं रघुनाथस्य शतकोटि प्रविस्तरम् ।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥1॥

ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् ।
जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितं ॥2॥

सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तंचरान्तकम् ।
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम् ॥3॥

रामरक्षां पठेत प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम् ।
शिरो मे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः ॥4॥

कौसल्येयो दृशो पातु विश्वामित्रप्रियः श्रुति ।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः ॥5॥

जिह्वां विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवन्दितः ।
स्कन्धौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः ॥6॥

करौ सीतापतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित ।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः ॥7॥

सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः ।
उरु रघूत्तमः पातु रक्षःकुलविनाशकृताः ॥8॥

जानुनी सेतुकृत पातु जंघे दशमुखांतकः ।
पादौ विभीषणश्रीदः पातु रामअखिलं वपुः ॥9॥

एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृति पठेत ।
स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् ॥10॥

पातालभूतल व्योम चारिणश्छद्मचारिणः ।
न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः ॥11॥

रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन ।
नरौ न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥12॥

जगज्जैत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम् ।
यः कण्ठे धारयेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः ॥13॥

वज्रपञ्जरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत ।
अव्याहताज्ञाः सर्वत्र लभते जयमंगलम् ॥14॥

आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हरः ।
तथा लिखितवान् प्रातः प्रबुद्धो बुधकौशिकः ॥15॥

आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम् ।
अभिरामस्त्रिलोकानां रामः श्रीमान स नः प्रभुः ॥16॥

तरुणौ रूपसम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥17॥

फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥18॥

शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् ।
रक्षःकुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ ॥19॥

आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशा वक्ष याशुगनिषङ्गसङ्गिनौ ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रतः पथि सदैव गच्छताम ॥20॥

सन्नद्धः कवची खड्गी चापबाणधरो युवा ।
गच्छन् मनोरथान नश्च रामः पातु सलक्ष्मणः ॥21॥

रामो दाशरथी शूरो लक्ष्मणानुचरो बली ।
काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघूत्तमः ॥22॥

वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः ।
जानकीवल्लभः श्रीमानप्रमेयपराक्रमः ॥23॥

इत्येतानि जपन नित्यं मद्भक्तः श्रद्धयान्वितः ।
अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशयः ॥24॥

रामं दुर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम ।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नरः ॥25॥

रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरं,
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम ।
राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथतनयं श्यामलं शांतमूर्तिं,
वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम ॥26॥

रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ॥27॥

श्रीराम राम रघुनन्दनराम राम,
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम,
श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥28॥

श्रीराम चन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि,
श्रीराम चंद्रचरणौ वचसा गृणामि ।
श्रीराम चन्द्रचरणौ शिरसा नमामि,
श्रीराम चन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥29॥

माता रामो मत्पिता रामचंन्द्र: ।
स्वामी रामो मत्सखा रामचंद्र: ।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालु ।
नान्यं जाने नैव जाने न जाने ॥

दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मज ।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनन्दनम् ॥31॥

लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथं ।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये ॥32॥

मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीराम दूतं शरणं प्रपद्ये ॥33॥

कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम ।
आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम ॥34॥

आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम् ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ॥35॥

भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम् ।
तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम् ॥36॥

रामो राजमणिः सदा विजयते,
रामं रमेशं भजे रामेणाभिहता,
निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः ।
रामान्नास्ति परायणं परतरं,
रामस्य दासोस्म्यहं रामे चित्तलयः,
सदा भवतु मे भो राम मामुद्धराः ॥37॥

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्त्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥38॥

श्री राम रक्षा स्तोत्र का अर्थ हिन्दी में

विनियोग (आरंभिक श्लोक):
इस श्रीराम रक्षा स्तोत्र के मंत्र का संकलन बुद्धकौशिक ऋषि द्वारा किया गया है। भगवान श्री सीतारामचंद्र जी की पूजा करने के लिए इस मंत्र का प्रयोग किया जाता है। यह मंत्र अनुष्टुप छंद में है, जिसमें सीता शक्ति और श्रीमान हनुमान की उपासना है। इस स्तोत्र के पाठ से भगवान श्रीराम और उनकी माता सीता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

ध्यानम् (ध्यान):
यह ध्यान मंत्र भगवान श्री राम का ध्यान करने के लिए है। इसमें श्रीराम को एक खूबसूरत रूप में चित्रित किया गया है—साथ में उनकी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण का उल्लेख किया गया है। राम के शरीर की सौम्यता और उनकी वीरता का वर्णन किया गया है, जैसे उनका पीला वस्त्र, नील कमल जैसी आँखें और उनका सज्जित जटामुकुट।

राम रक्षा स्तोत्र के श्लोक:

  1. चरितं रघुनाथस्य शतकोटि प्रविस्तरम्।
    यह श्लोक भगवान राम के चरित्र का वर्णन करता है, जो अनगिनत पापों का नाश करने वाला है। भगवान राम के प्रत्येक अक्षर का उच्चारण पापों का नाश करता है।
  2. ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम्।
    इस श्लोक में भगवान राम की सुंदरता और उनके श्याम वर्ण का चित्रण किया गया है। उनके पास हमेशा लक्ष्मण और सीता रहते हैं, और वे जटामुकुट से सजे हुए हैं।
  3. सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तंचरान्तकम्।
    यहाँ भगवान राम को धनुष-बाण के साथ चित्रित किया गया है, जो रात्रि में भी संसार की रक्षा के लिए प्रकट होते हैं।
  4. रामरक्षां पठेत प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम्।
    इस श्लोक में कहा गया है कि जो ज्ञानी व्यक्ति इस राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करता है, वह पापों से मुक्त होकर सभी इच्छाओं को प्राप्त करता है और भगवान राम की कृपा से जीवन में सुख-शांति प्राप्त करता है।
  5. शिरो मे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः।
    इस श्लोक में भगवान राम से प्रार्थना की जाती है कि वे मेरे सिर, मस्तक और पूरे शरीर की रक्षा करें।
  6. कौसल्येयो दृशो पातु विश्वामित्रप्रियः श्रुति।
    भगवान राम के द्वारा कक्षीय क्षेत्र और विशेष रूप से उनके पिता दशरथ के प्रति प्रेम की चर्चा की जाती है।

अंतिम श्लोक: राम रक्षा स्तोत्र के आखिरी श्लोक में भगवान राम की महिमा का बखान करते हुए कहा गया है कि जो व्यक्ति इस स्तोत्र का श्रद्धा पूर्वक पाठ करता है, वह न केवल लंबी उम्र प्राप्त करता है, बल्कि उसका जीवन हर प्रकार की कठिनाई से मुक्त हो जाता है। इसके साथ ही वह पुण्य, सुख, समृद्धि और विजय प्राप्त करता है।

श्री राम रक्षा स्तोत्र एक ऐसा अद्भुत मन्त्र है, जो भगवान राम के आशीर्वाद से भक्तों के जीवन को सुरक्षित और समृद्ध बना सकता है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से न केवल शारीरिक रक्षा होती है, बल्कि मानसिक शांति और दैवीय आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। जो भक्त इसे पूरी श्रद्धा से जपते हैं, उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

निष्कर्ष:

श्री राम रक्षा स्तोत्र एक अद्भुत शक्ति का स्त्रोत है, जो जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। इसे सही तरीके से पढ़ने और समझने से व्यक्ति को न केवल शारीरिक सुरक्षा मिलती है, बल्कि मानसिक शांति और दैवीय आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। नियमित रूप से इस स्तोत्र का जाप करने से भगवान श्री राम की कृपा और उनका संरक्षण हमेशा बना रहता है।

आप भी श्री राम रक्षा स्तोत्र का जाप करें और अपने जीवन में समृद्धि और शांति का अनुभव करें।

FAQs: श्री राम रक्षा स्तोत्र

Q1: श्री राम रक्षा स्तोत्र क्या है?
उत्तर: श्री राम रक्षा स्तोत्र एक शक्तिशाली हिन्दू मंत्र है, जिसे भगवान श्री राम की कृपा और सुरक्षा पाने के लिए पाठ किया जाता है। यह स्तोत्र भगवान राम की महिमा का गुणगान करते हुए भक्त को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक सुरक्षा प्रदान करता है।

Q2: श्री राम रक्षा स्तोत्र का पाठ कब करना चाहिए?
उत्तर: इस स्तोत्र का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन सुबह स्नान के बाद स्वच्छ स्थान पर इसका पाठ अधिक शुभ माना जाता है। इसे संकट या किसी विशेष कामना के लिए नियमित रूप से पढ़ा जा सकता है।

Q3: श्री राम रक्षा स्तोत्र का पाठ कैसे करें?
उत्तर: पाठ शुरू करने से पहले शांत मन और स्वच्छ शरीर के साथ बैठें। भगवान राम का ध्यान करें और विनियोग मंत्र का जाप करें। इसके बाद श्रद्धा और भक्ति के साथ पूरे स्तोत्र का पाठ करें।

Q4: श्री राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने के लाभ क्या हैं?
उत्तर:

  • जीवन में सुरक्षा और शांति का अनुभव होता है।
  • मानसिक तनाव और नकारात्मकता से मुक्ति मिलती है।
  • भगवान राम की कृपा से सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।
  • पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि प्राप्त होती है।

Q5: क्या श्री राम रक्षा स्तोत्र का पाठ किसी विशेष अवसर पर किया जाता है?
उत्तर: हां, श्री राम रक्षा स्तोत्र का पाठ राम नवमी, दशहरा, या किसी विशेष संकट से मुक्ति के लिए किया जा सकता है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से भी लाभ होता है।

Q6: क्या श्री राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने के लिए किसी विशेष नियम का पालन करना होता है?
उत्तर: इस स्तोत्र का पाठ करने के लिए पवित्रता और श्रद्धा सबसे महत्वपूर्ण हैं। शुद्ध मन और शरीर के साथ इसका जाप करें। स्थान और समय का कोई कठोर नियम नहीं है।

Q7: क्या श्री राम रक्षा स्तोत्र का पाठ महिलाओं द्वारा किया जा सकता है?
उत्तर: हां, श्री राम रक्षा स्तोत्र का पाठ सभी के लिए है। इसे कोई भी व्यक्ति, चाहे वह पुरुष हो या महिला, श्रद्धा और भक्ति के साथ कर सकता है।

Q8: क्या इसे कंठस्थ (याद) करना जरूरी है?
उत्तर: इसे कंठस्थ करना आवश्यक नहीं है। आप इसे लिखित रूप में पढ़ सकते हैं, लेकिन इसे याद करना बेहतर है, क्योंकि इससे पाठ करने में सुविधा होती है।

Q9: श्री राम रक्षा स्तोत्र का प्रभाव कितने समय में दिखाई देता है?
उत्तर: इसका प्रभाव व्यक्ति की श्रद्धा, विश्वास और नियमितता पर निर्भर करता है। लगातार और सच्चे मन से इसका पाठ करने से सकारात्मक परिणाम शीघ्र मिलते हैं।

Q10: क्या श्री राम रक्षा स्तोत्र को केवल संस्कृत में पढ़ना चाहिए?
उत्तर: संस्कृत में पाठ करना शुभ माना जाता है, लेकिन यदि आप संस्कृत नहीं समझते, तो आप इसे हिंदी या अपनी भाषा में भी पढ़ सकते हैं। भाव और भक्ति सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं।

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