👉 नवरात्रि में घट स्थापना का सही तरीका जानना बहुत जरूरी है, क्योंकि यही पूजन की पहली और सबसे पवित्र प्रक्रिया मानी जाती है। घट या कलश स्थापना को शक्ति की उपासना का प्रारंभ कहा जाता है। माता दुर्गा का आह्वान करने और पूरे 9 दिनों तक उनकी कृपा पाने के लिए घट स्थापना करना आवश्यक है।
आइए इसे गहराई से, आसान भाषा और पॉइंट्स में समझते हैं 👇
1. घट स्थापना का महत्व
- नवरात्रि में घट स्थापना करना शुभता, ऊर्जा और दिव्यता का प्रतीक है।
- कलश (घट) को ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता है। इसमें सभी देवी-देवताओं का वास माना जाता है।
- घट को माता दुर्गा का ही रूप माना जाता है।
- सही विधि से घट स्थापना करने से घर में सुख, समृद्धि और शांति आती है।
2. घट स्थापना के लिए आवश्यक सामग्री
घट स्थापना करने से पहले सारी सामग्री तैयार कर लेना जरूरी है।
- मिट्टी का कलश या पीतल का कलश
- गंगाजल या शुद्ध जल
- आम या अशोक के पत्ते
- नारियल (सिर पर जटा वाला)
- लाल वस्त्र या चुनरी
- रोली, अक्षत (चावल), हल्दी
- सुपारी
- पान के पत्ते
- दूर्वा घास
- सिक्के या थोड़ा सा चांदी/सोना
- सप्तधान्य (सात तरह के अनाज)
- मिट्टी (अंकुरण के लिए)
- दीपक और धूप
3. घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
- नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को घट स्थापना करनी चाहिए।
- शुभ मुहूर्त प्रातःकाल या अभिजीत काल में होता है।
- ब्राह्म मुहूर्त में घट स्थापना करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
- यदि आप सटीक समय चाहते हैं तो पंचांग देखकर मुहूर्त अवश्य देखें।
4. नवरात्रि में घट स्थापना का सही तरीका (स्टेप बाय स्टेप)
(क) स्थान की शुद्धि
- जिस स्थान पर आप पूजा करना चाहते हैं, पहले उसे अच्छे से साफ करें।
- वहां गंगाजल या गौमूत्र छिड़ककर शुद्धि करें।
- एक लकड़ी का पट्टा या चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं।
(ख) मिट्टी और जौ बोना
- चौकी पर थोड़ी मिट्टी रखें और उसमें जौ बो दें।
- यह अंकुरण (जौ उगना) समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
(ग) कलश की तैयारी
- कलश में गंगाजल भरें।
- उसमें सुपारी, सिक्के, दूर्वा घास और अक्षत डालें।
- कलश के मुंह पर आम या अशोक के पत्ते लगाएं।
- उसके ऊपर नारियल रखें और लाल चुनरी या वस्त्र से बांध दें।
(घ) कलश की स्थापना
- इस कलश को मिट्टी और जौ बोई हुई जगह पर रखें।
- कलश को रोली और हल्दी से तिलक करें।
- दीपक और अगरबत्ती जलाकर पूजा करें।
(ङ) देवी का आह्वान
- देवी दुर्गा का ध्यान करें और मंत्र जप करें।
- “ॐ दुं दुर्गायै नमः” मंत्र का जाप विशेष फलदायी माना जाता है।
5. घट स्थापना के नियम
- घट स्थापना एक बार ही करनी चाहिए।
- पूजा स्थल को पूरे नौ दिनों तक शुद्ध रखें।
- रोज सुबह-शाम दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
- जौ को रोज पानी दें, ये माता की कृपा का प्रतीक हैं।
- नवरात्रि के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें और सात्विक आहार लें।
6. घट स्थापना के बाद पूजन विधि
- रोज माता दुर्गा की आरती करें।
- दुर्गा सप्तशती, देवी कवच या मंत्रों का पाठ करें।
- नवमी या अष्टमी को कन्या पूजन करें।
- नवमी के दिन जौ के अंकुरों का विसर्जन करें।
- कलश का जल पवित्र मानकर पूरे घर में छिड़कें।
7. घट स्थापना से जुड़ी मान्यताएँ
- माना जाता है कि घट स्थापना करने से घर में देवी लक्ष्मी और सरस्वती का वास होता है।
- जौ का अंकुरण जितना अच्छा होता है, आने वाला साल उतना ही शुभ माना जाता है।
- नारियल को कलश पर रखना जीवन में मिठास और समृद्धि का प्रतीक है।
8. सावधानियाँ
- घट स्थापना हमेशा शुभ मुहूर्त में ही करें।
- पूजा में इस्तेमाल होने वाली सारी सामग्री शुद्ध और नई हो।
- कलश का पानी कभी भी अपवित्र न होने दें।
- पूजा स्थल को रोज साफ रखें।
निष्कर्ष
👉 नवरात्रि में घट स्थापना का सही तरीका जानना बहुत आवश्यक है। सही विधि से किए गए घट स्थापना से न केवल पूजा पूर्ण होती है, बल्कि देवी दुर्गा की कृपा भी प्राप्त होती है। इस विधि का पालन करके आप अपने जीवन में शांति, सुख और समृद्धि ला सकते हैं।
नमस्ते, मैं अनिकेत, हिंदू प्राचीन इतिहास में अध्ययनरत एक समर्पित शिक्षक और लेखक हूँ। मुझे हिंदू धर्म, मंत्रों, और त्योहारों पर गहन अध्ययन का अनुभव है, और इस क्षेत्र में मुझे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। अपने ब्लॉग के माध्यम से, मेरा उद्देश्य प्रामाणिक और उपयोगी जानकारी साझा कर पाठकों की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक यात्रा को समृद्ध बनाना है। जुड़े रहें और प्राचीन हिंदू ज्ञान के अद्भुत संसार का हिस्सा बनें!