काल भैरव अष्टकम्

काल भैरव अष्टकम्: काल भैरव की महिमा और भक्ति का अद्भुत मार्ग

काल भैरव अष्टकम् (Kaal Bhairav Ashtaksham) हिंदू धर्म में एक प्रमुख स्तुति मंत्र है, जिसे भगवान काल भैरव की पूजा और आराधना के लिए विशेष रूप से पढ़ा जाता है। काल भैरव भगवान शिव के अवतार माने जाते हैं और उन्हें समय के नियंत्रणकर्ता और मृत्यु के देवता के रूप में पूजा जाता है। उनका स्वरूप काफी डरावना है, लेकिन उनकी कृपा से भक्तों के जीवन से सभी कष्ट और भय दूर हो जाते हैं।

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काल भैरव का स्वरूप

काल भैरव का स्वरूप अत्यंत भयावह है, उनके शरीर पर ताम्रवर्णी रंग, एक भयानक कपाल, और उनके हाथ में त्रिशूल होता है। उनके सिर पर ताज और गहनों से सुसज्जित होते हैं। उनके साथ हमेशा कुत्ता होता है, जिसे उनका वाहन माना जाता है। काल भैरव का उपासना भक्तों के जीवन से भय और चिंता को समाप्त करता है और उन्हें जीवन की सच्चाई से परिचित कराता है।

काल भैरव अष्टकम् का महत्व

काल भैरव अष्टकम् आठ श्लोकों का एक दिव्य स्तोत्र है, जो भगवान काल भैरव के प्रति गहरी भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है। इस मंत्र का नियमित पाठ करने से भक्तों के जीवन में शांति और समृद्धि का वास होता है। इस अष्टकम् को विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी माना जाता है, जो किसी न किसी भय या संकट का सामना कर रहे होते हैं।

काल भैरव अष्टकम् का पाठ कैसे करें?

काल भैरव अष्टकम् का पाठ करने के लिए कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  1. समय और स्थान का चयन: सबसे अच्छा समय काल भैरव अष्टकम् का पाठ रात के समय या विशेष रूप से शनिवार, मंगलवार, या भैरव अष्टमी के दिन किया जाता है।
  2. स्वच्छता और पवित्रता: पाठ करने से पहले स्नान करें और शुद्ध वस्त्र पहनें।
  3. माल की आवश्यकता: अगर संभव हो तो एक बांसुरी या लकड़ी की माला का उपयोग करें।
  4. आराधना का तरीका: आठ श्लोकों का उच्चारण करें और भगवान काल भैरव के सामने दीपक जलाकर उनका ध्यान करें।

काल भैरव अष्टकम् के पद:

  1. नमः कालभैरवाय महाक्रूराय कर्दमाय।
    शिवकान्ताय च वृषवाहनाय महाद्रविणाय॥
    अश्वमुखाय त्रिनेत्राय सर्वरोगनिवारणाय।
    कालभैरवाय नित्यं नमोऽस्तु हरिबन्धनाय॥
  2. कालभैरवाय तुष्टाय सर्वसङ्क्षोभनाशनाय।
    क्रूरब्रह्मराक्षसग्रहभूतप्रेतपिशाचद्रुमनाय॥
    सर्वसिध्यं भैरवी साक्षात्काराय॥
    अष्टमं प्रपद्ये तं प्रनम्यं कालभैरवम्॥
  3. जपाकुन्दनबाहुमन्दारपल्लवप्रभानं।
    देवमुखधरिद्राय स्वप्नदोषनिवारिणं॥
    सर्वज्ञसिद्धिमदातुं च स्वकान्तां निर्वापयेत्॥
    कालभैरवाय नमोऽस्तु॥
  4. कालभैरवाय त्रिवर्गगुणध्वान्तकायकाय।
    अश्वरूपधारी लङ्गसङ्गी सर्वाशाप्रसादकारि॥
    सत्ताग्राहिणि भगवान् कलयतिशिवालयै॥
    कालभैरवाय नमोऽस्तु॥
  5. सर्वशक्ति सम्भावितमंगलानुकृतं भवम्।
    त्रिशूलधारीं पाटलधरं रौद्रप्रचण्डमुखम्॥
    नमः श्रीशिवात्मकं कालभैरवाम्श्वरम्॥
    कष्टविध्वंसकर्तारं जगद्व्यापिनं हरम्॥
  6. स्वर्णवर्णं तमोनाशकं दुर्गापूर्णं श्रिवर्णम्।
    कालभैरवाय सर्वरोगनिवारणाय।
    सच्चिदानन्दवर्धाय हरिपुष्करिणे।
    प्रपद्ये तं कालभैरवम्॥
  7. शान्तं शम्भुप्रणम्यं सर्वसमर्थं भजेत्।
    कालभैरवाय भूतनाशकं अपाकृतं दुखप्रद्रविधि॥
    य: पठेत् काले प्रतिग्रहणाय।
    कालभैरवाय नमोऽस्तु॥
  8. नमः कालभैरवाय।

काल भैरव अष्टकम् अर्थ और विवरण:

  1. पहले श्लोक में भगवान काल भैरव की महिमा का वर्णन किया गया है, जो अपने भक्तों को भय से मुक्त करते हैं और सभी संकटों का नाश करते हैं।
  2. दूसरे श्लोक में भगवान काल भैरव को तुष्ट और सर्वसंकटों के नाशक के रूप में पूजा गया है। वे बुरी आत्माओं और राक्षसों से सुरक्षा प्रदान करते हैं।
  3. तीसरे श्लोक में भगवान काल भैरव के शांति देने वाले रूप का वर्णन किया गया है। वे अपने भक्तों को दुखों से मुक्ति दिलाने के लिए पूजे जाते हैं।
  4. चौथे श्लोक में भगवान काल भैरव को अश्वाकार और त्रिशूलधारी रूप में पूजा जाता है। उनका रूप सब प्रकार की बुराई और संकट को नष्ट करता है।
  5. पांचवे श्लोक में भगवान काल भैरव की शक्ति और उनकी उपस्थिति का वर्णन किया गया है, जो सभी कष्टों को दूर करती है और हर दिशा में भगवान के आशीर्वाद को प्रदान करती है।
  6. छठे श्लोक में भगवान काल भैरव के रूप का वर्णन किया गया है, जिसमें वे रक्षक और शांति के प्रतीक के रूप में भक्तों की रक्षा करते हैं।
  7. सातवे श्लोक में भगवान काल भैरव के ध्यान और भजन की महिमा का वर्णन किया गया है। यह श्लोक बताता है कि उनके ध्यान से व्यक्ति सभी संकटों से मुक्त हो सकता है।
  8. अंतिम श्लोक में भगवान काल भैरव को प्रणाम किया जाता है, उनके दिव्य रूप और शक्तियों का सम्मान किया जाता है।

काल भैरव अष्टकम् के श्लोक

यहां काल भैरव अष्टकम् के आठ श्लोक दिए गए हैं:

  1. “ॐ काल भैरवाय नमः”
  2. “नमः कालेश्वराय सर्वशत्रु निवारिणे।”
  3. “काल भैरव महाक्रूर सर्वग्रह निवारिणे।”
  4. “ॐ ह्लीं काल भैरवाय प्रसीद प्रसीद”
  5. “नमः शिवाय महामायाय कर्मनाशाय चेश्वरि।”
  6. “गङ्गाजलधारिणी भैरवी महाक्रूरेण संगता।”
  7. “जपाकुसुमसङ्काशं कालभैरवजीवितम्।”
  8. “सर्वशक्तिप्रदं भैरवं सर्वनाशनं प्रभुम्।”

काल भैरव अष्टकम् का आध्यात्मिक और मानसिक लाभ

काल भैरव अष्टकम् के नियमित पाठ से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है, और वह जीवन में आने वाली परेशानियों को दूर करने में सक्षम होता है। यह विशेष रूप से मानसिक तनाव, डर, और आत्मविश्वास की कमी से जूझ रहे व्यक्तियों के लिए लाभकारी है।

इसके अलावा, यह श्लोक भक्तों को जीवन में समय के महत्व को समझने और प्रत्येक कार्य को समय पर करने की प्रेरणा देता है। काल भैरव की कृपा से किसी भी प्रकार के बुरे ग्रह या शत्रु की नकारात्मक ऊर्जा को दूर किया जा सकता है।

निष्कर्ष

काल भैरव अष्टकम् न केवल एक शक्तिशाली मंत्र है, बल्कि यह एक दिव्य स्तुति है जो भगवान काल भैरव की महिमा का वाचन करता है। इस स्तोत्र का पाठ भक्तों को न केवल शारीरिक और मानसिक शांति प्रदान करता है, बल्कि जीवन के विभिन्न संकटों और भय को समाप्त कर एक नई दिशा की ओर अग्रसर करता है।

काल भैरव अष्टकम् एक अत्यंत प्रभावी स्तोत्र है, जो भक्तों को भगवान काल भैरव के आशीर्वाद से सुरक्षित और संरक्षित करता है। इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ पाठ करने से जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति का अनुभव होता है। काल भैरव की पूजा और अष्टकम् का नियमित पाठ करने से सभी प्रकार के मानसिक और शारीरिक कष्ट दूर होते हैं, और भक्तों को भगवान के आशीर्वाद का अनुभव होता है।

आप भी इस अद्भुत मंत्र का पाठ करें और भगवान काल भैरव की कृपा से अपने जीवन को एक नई दिशा दें।कृपया ध्यान रखें: यदि आप काल भैरव अष्टकम् का पाठ करें, तो इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ करें, और भगवान भैरव की कृपा के लिए आशीर्वाद प्राप्त करें।

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