अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो

अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो

“अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो” एक लोकप्रिय भक्ति भजन है जो भगवान श्रीकृष्ण के प्रति असीम श्रद्धा और प्रेम को प्रकट करता है। यह भजन विशेष रूप से भगवान द्वारकाधीश की स्तुति के लिए गाया जाता है। इसमें सुदामा भगवान के द्वारपालों से निवेदन करता है कि वह भगवान से उसे मिलने की अनुमति दिलाएं। यह भजन अपनी भावपूर्ण और सरल भाषा के कारण भक्तों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय है।

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यह भजन आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है और भक्तों को भगवान के चरणों में समर्पित होने की प्रेरणा देता है। मंदिरों, सत्संगों, और धार्मिक आयोजनों में इसे विशेष रूप से गाया जाता है। इसकी कोमल धुन और गहरे भाव इसे हर आयु वर्ग के भक्तों के लिए प्रिय बनाते हैं।

अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो लिरिक्स 

देखो देखो यह गरीबी, यह गरीबी का हाल,

कृष्ण के दर पे यह विशवास ले के आया हूँ।

मेरे बचपन का दोस्त हैं मेरा श्याम,

येही सोच कर मैं आस ले कर के आया हूँ ॥

अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो,

दर पे सुदामा गरीब आ गया है।

भटकते भटकते ना जाने कहाँ से,

तुम्हारे महल के करीब आ गया है॥

ना सर पे हैं पगड़ी, ना तन पे हैं जामा

बतादो कन्हिया को नाम है सुदामा।

इक बार मोहन से जाकर के कहदो,

मिलने सखा बदनसीब आ गया है॥

सुनते ही दोड़े चले आये मोहन,

लगाया गले से सुदामा को मोहन।

हुआ रुकमनी को बहुत ही अचम्भा,

यह मेहमान कैसा अजीब आ गया है॥

और बराबर पे अपने सुदामा बिठाये,

चरण आंसुओं से श्याम ने धुलाये।

न घबराओ प्यारे जरा तुम सुदामा,

ख़ुशी का समा तेरे करीब आ गया है।

अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो  वीडियो 

अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो भजन की विस्तृत जानकारी

1. भजन की उत्पत्ति:

यह भजन श्रीकृष्ण की आराधना में गाया जाने वाला प्रसिद्ध भजन है। इसे विशेष रूप से द्वारका में श्रीकृष्ण के भक्त गाते हैं। इसमें भक्त भगवान से मिलने की विनम्र प्रार्थना करता है।

2. भजन की थीम:

भजन भगवान श्रीकृष्ण के प्रति गहरी श्रद्धा और प्रेम को प्रकट करता है। भक्त भगवान के द्वारपालों से आग्रह करता है कि वह उसे भगवान से मिलाने की कृपा करें।

3. भजन का महत्व:

यह भजन भक्त और भगवान के बीच के संबंध को दर्शाता है। यह विश्वास और समर्पण की भावना को प्रेरित करता है। इसे अक्सर मंदिरों और धार्मिक आयोजनों में गाया जाता है।

4. भजन की विशेषताएं:

संगीत: इस भजन में धीमे और कोमल सुरों का उपयोग होता है जो शांति और ध्यान की भावना प्रदान करता है।

शब्द: भजन के शब्द अत्यधिक सरल और हृदयस्पर्शी हैं, जो हर भक्त को सीधे भगवान के साथ जुड़ने का अनुभव देते हैं।

पारंपरिक महत्व: यह भजन न केवल धार्मिक आयोजन बल्कि दैनिक पूजा में भी लोकप्रिय है।

5. भजन का उपयोग:

धार्मिक आयोजनों में पूजा के दौरान।

मंदिरों में आरती और कीर्तन के रूप में।

व्यक्तिगत ध्यान और साधना के लिए।

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