मारुती स्तोत्र, जिसे ‘भीमरूपी महारुद्रा’ और ‘वज्रहनुमान मारुती’ के नाम से भी जाना जाता है, एक अत्यधिक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान हनुमान के अद्वितीय रूपों की पूजा करता है। हनुमान जी का यह रूप अत्यधिक भयावह और वीरता से भरपूर होता है, जो समस्त संसार में अजेयता और शक्तिशाली होने का प्रतीक माना जाता है। इस स्तोत्र का पाठ व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक बल प्रदान करने के साथ-साथ उसे सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति भी दिलाता है। यदि आप हनुमान जी के अन्य रूपों के बारे में जानना चाहते हैं, तो पंचमुखी हनुमान कवच और हनुमान चालीसा जैसे महत्वपूर्ण मंत्रों और कवचों को देखें, जो हनुमान जी की शक्ति और भक्ति को व्यक्त करते हैं।
भीमरूपी महारुद्रा का महत्त्व
भीमरूपी महारुद्रा हनुमान जी का वह रूप है, जिसमें वे अत्यधिक भयंकर और वीरता से भरपूर होते हैं। यह रूप भगवान शिव के रुद्र रूप से प्रेरित है, जिसमें वह अपनी पूरी शक्ति का अनुभव कराते हैं। ‘भीम’ शब्द का अर्थ होता है भयंकर या विशाल, और ‘रुद्र’ का तात्पर्य है भगवान शिव का क्रोधित रूप। हनुमान जी का यह रूप विशेष रूप से युद्ध और संकटों से उबरने के लिए उपयुक्त माना जाता है। नके शोकहर्ता रूप के बारे में अधिक जानकारी के लिए हनुमान श्लोक और संकट मोचन हनुमानाष्टक को पढ़ें, जो संकटों को दूर करने के लिए अत्यधिक प्रभावी होते हैं।
भीमरूपी महारुद्रा हनुमान जी के इस रूप की पूजा करने से व्यक्ति के भीतर बल, साहस और निडरता का संचार होता है। यह स्तोत्र विशेष रूप से शत्रुओं और मानसिक दुर्बलता से निपटने के लिए उत्तम माना जाता है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपनी शक्तियों को पहचान कर जीवन में आत्मविश्वास और शांति पा सकता है। (स्त्रोत)
वज्रहनुमान मारुती का महत्त्व
वज्रहनुमान मारुती, हनुमान जी के एक और अद्वितीय रूप का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें हनुमान जी के शरीर का प्रत्येक अंग वज्र के समान मजबूत और अविनाशी होता है। ‘वज्र’ शब्द का अर्थ है एक अत्यंत कठोर और अविनाशी तत्व, जो किसी भी विरोधी शक्ति को पराजित करने में सक्षम होता है। वज्रहनुमान मारुती के इस रूप में भगवान हनुमान अपने परम शक्ति के साथ प्रत्येक प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट कर देते हैं।
वज्रहनुमान मारुती की पूजा करने से व्यक्ति को अद्वितीय शक्ति, साहस और स्थिरता प्राप्त होती है। यह स्तोत्र न केवल शारीरिक बल का, बल्कि मानसिक शक्ति का भी प्रतीक है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो अपने जीवन में किसी न किसी प्रकार के संघर्ष का सामना कर रहे हैं, क्योंकि यह व्यक्ति को मानसिक शांति और आंतरिक बल प्रदान करता है।
मारुती स्तोत्र लिरिक्स
वनारि अंजनीसूता । रामदूता प्रभजना ॥१॥
सौख्यकारी शोकहर्ता । धूर्त वैष्णव गायका ॥२॥
पाताल देवता हंता । भव्य शेंदूरलेपना ॥३॥
पुण्यवंता पुण्यशीला पावना परतोषका ॥४॥
कालग्रि कालरुद्राग्रि । देखतां कापती भयें ॥५॥
ब्रह्मांडाभोंवत वेढे । वज्रपुच्छ घालवूं शके ॥११॥
तयासी तुळणा कैशी । ब्रह्मांडीं पाहतां नसे ॥१२॥
वाढतां वाढतां वाढे । भेदिल शून्यमंडळा ॥१३॥
नासती तुटती चिंता । आनंदें भीमदर्शनें ॥१४॥
दृढ देहो नि:संदेहो । संख्या चंद्रकळा गुणें ॥१५॥
रामरूप अंतरात्मा । दर्शनें दोष नासती ॥१६॥
मारुती स्तोत्र लीरिक्स का संस्कृत अर्थ हिन्दी में
यह संस्कृत मंत्रों का संग्रह भगवान हनुमान के विभिन्न रूपों और उनकी दिव्य शक्तियों की महिमा करता है। यहाँ इन श्लोकों का हिंदी में अर्थ दिया गया है:
1. भीमरूपी महारुद्रा | वज्रहनुमान मारुती | वनारि अंजनीसूता | रामदूता प्रभजना
- “वह भयंकर और शक्तिशाली भीमरूप में भगवान शिव के रुद्र रूप के समान हैं, वज्र (बिजली) जैसे हनुमान, अंजनी के पुत्र और राम के संदेशवाहक हैं, जो संसार को शांति प्रदान करते हैं।”
2. महाबली प्राणदाता | सकळां ऊठवी बळें | सौख्यकारी शोकहर्ता | धूर्त वैष्णव गायका
- “वह अत्यंत बलशाली हैं, जीवन देने वाले हैं, और सभी प्राणियों में शक्ति का संचार करते हैं। वह सुख देने वाले, शोक नाशक और वैष्णवों के धोखेबाजों का नाश करने वाले हैं।”
3. दिनानाथा हरीरूपा | सुंदरा जगदंतरा | पाताल देवता हंता | भव्य शेंदूरलेपना
- “वह दिन के स्वामी, भगवान हरि (विष्णु) के रूप में सुंदर और सम्पूर्ण संसार के नायक हैं। वह पाताल के देवताओं के संहारक हैं और उनके माथे पर भव्य सिंदूर का तिलक है।”
4. लोकनाथा जगन्नाथा | प्राणनाथा पुरातना | पुण्यवंता पुण्यशीला पावना परतोषका
- “वह सम्पूर्ण लोकों के स्वामी, प्राचीन और शाश्वत हैं, जीवन के रक्षक हैं। वह पवित्र और पुण्यात्मा हैं, अपने भक्तों को शांति और प्रसन्नता प्रदान करने वाले हैं।”
5. ध्वजांगें उचली बाही | आवेशें लाटला पुढें | कालग्रि कालरुद्राग्रि | देखतां कापती भयें
- “उनका ध्वज ऊँचा उठता है, और वह शक्ति से आगे बढ़ते हैं। वह समय के संहारक और कालरुद्र (शिव) के रूप में भय उत्पन्न करने वाले हैं।”
6. ब्रह्यांडें माईल नेणों | आवळे दंतपंगती | नेत्राग्रीं चालिल्या ज्वाळा | भृकुटी ताठिल्या बळें
- “वह ब्रह्मांड को कंपित करते हैं, उनकी आँखों से ज्वालाएँ निकलती हैं और उनकी भृकुटी में क्रोध के कारण शक्ति का संचार होता है।”
7. पुच्छ तें मुरडिलें माथां किरीटें कुंडलें वरी | सुवर्ण घटि कासोटी | घंटा किंकिणि नागरा
- “उनकी पूँछ मुड़ी हुई है, उनके सिर पर मुकुट और कानों में कुंडल हैं। उनके शरीर पर स्वर्ण पात्र, घंटियाँ और नगाड़ों की आवाजें गूंजती हैं।”
8. ठकारे पर्वताऐसा | नेटका सडपातळू | चपलांग पाहतां मोठें | महाविद्युल्लतेपरी
- “वह पर्वत के समान ठोस और शक्तिशाली हैं। उनकी गति इतनी तेज है कि वह बिजली की तरह चमकते हैं।”
9. कोटिच्या कोटि उड्डाणें | झेंपावे उत्तरेकडे | मंद्राद्री-सारिखा द्रोणू | क्तोधें उत्पाटिला बळें
- “वह अनगिनत आकाशों में उड़ने में सक्षम हैं, और उनकी शक्ति इतनी महान है कि वह हर सीमा को पार कर सकते हैं।”
10. आणिला मागुती नेला | आला गेला मनोगतीं | मनासी टाकिले मागें | गतीसी तुळणा नसे
- “वह समय और स्थान से परे हैं। उनका मन जो चाहता है, उसे प्राप्त कर लेता है, और उनकी गति की कोई तुलना नहीं कर सकता।”
11. अणुपासूनि ब्रह्मांडा | एवढा होत जातसे | ब्रह्मांडाभोंवत वेढे | वज्रपुच्छ घालवूं शके
- “वह ब्रह्मांड की सबसे छोटी से लेकर सबसे बड़ी चीज़ को भी नियंत्रित करते हैं। उनकी शक्ति से वह सभी बाधाओं को तोड़ सकते हैं।”
12. तयासी तुळणा कोठें | मेरु मंदार धाकुटे | तयासी तुळणा कैशी | ब्रह्मांडीं पाहतां नसे
- “उनकी कोई तुलना नहीं की जा सकती। वह मेरु और मंदार पर्वत जैसे महान आकारों से भी अधिक शक्तिशाली हैं। सम्पूर्ण ब्रह्मांड की तुलना उनसे नहीं हो सकती।”
13. आरक्त देखिलें डोळां | गिळिलें सूर्यमंडळा | वाढतां वाढतां वाढे | भेदिल शून्यमंडळा
- “उनकी आँखें इतनी प्रचंड हैं कि वह सूर्य मंडल को भी निगल सकते हैं। जैसे-जैसे उनकी शक्ति बढ़ती है, वह शून्य के भी पार कर जाते हैं।”
14. भूत प्रेत समंधादि | रोगव्याधि समस्तहि | नासती तुटती चिंता | आनंदें भीमदर्शनें
- “वह भूत-प्रेत, रोग और सभी संकटों को समाप्त करते हैं। उनके दर्शन से सभी चिंताएँ और परेशानियाँ दूर हो जाती हैं, और भक्तों को अपार सुख और शांति मिलती है।”
15. हे धरा पंधरा श्र्लोकी | लाभली शोभली भली | दृढ देहो नि:संदेहो | संख्या चंद्रकळा गुणें
- “पृथ्वी पर पंद्रह श्लोकों का पूजन करने से शरीर मजबूत और निर्भीक हो जाता है, और चंद्रमा जैसी महिमा प्राप्त होती है।”
16. रामदासीं अप्रगणू | कपिकुळासी मंडणू | रामरूप अंतरात्मा | दर्शनें दोष नासती
- “वह राम के दास हैं, बंदर कुल के नेता हैं, और राम के रूप में अंतरात्मा के रूप में विराजते हैं। उनके दर्शन से सभी दोष समाप्त हो जाते हैं।” (यदि आप श्रीराम के साथ हनुमान जी के संबंध को और जानना चाहते हैं, तो हनुमान आरती और बजरंग बाण का अध्ययन करें।)
ये श्लोक भगवान हनुमान की विभिन्न शक्तियों, रूपों और गुणों की महिमा करते हैं। इनमें हनुमान जी की महानता, उनकी शक्तियों और उनके भक्तों के प्रति उनकी कृपा का वर्णन किया गया है। यह मंत्र हनुमान जी की शक्ति, साहस, और उनकी भक्ति के रूप में अजेयता का प्रतीक है, जो हर प्रकार के संकट और भय से मुक्ति दिलाने में सक्षम है।
मारुती स्तोत्र के लाभ
- शक्ति और साहस की प्राप्ति: मारुती स्तोत्र का जाप करने से व्यक्ति के भीतर अद्वितीय शक्ति और साहस का संचार होता है।
- सभी प्रकार के शत्रुओं से रक्षा: यह स्तोत्र शत्रुओं से रक्षा करने में सक्षम है, चाहे वे शारीरिक हों या मानसिक।
- संकटों से मुक्ति: यह स्तोत्र जीवन में आने वाले सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।
- स्वास्थ्य और समृद्धि का विकास: नियमित रूप से इस स्तोत्र का पाठ व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ समृद्धि भी प्रदान करता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: यह स्तोत्र व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से उन्नति करने की दिशा में मार्गदर्शन करता है और आत्म-ज्ञान की प्राप्ति में सहायक होता है।
हनुमान जी के रूप में भगवान राम के साथ उनकी भक्ति और श्रद्धा का अभिव्यक्तिकरण है। अगर आप हनुमान जी के 12 नामों के बारे में जानना चाहते हैं, तो हनुमान के 12 नाम का अनुसरण करें, जो उनके अनगिनत रूपों और गुणों का वर्णन करते हैं।
निष्कर्ष
मारुती स्तोत्र: भीमरूपी महारुद्रा और वज्रहनुमान मारुती की पूजा से व्यक्ति के जीवन में अपार शक्तियों का संचार होता है। यह स्तोत्र न केवल शारीरिक बल और साहस प्रदान करता है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में भी मार्गदर्शन करता है। जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाने के लिए इस स्तोत्र का जाप करने से व्यक्ति को अपार लाभ मिल सकता है। हनुमान जी के इस रूप में उनकी शक्ति और विनाशकारी क्रोध का वर्णन है। यदि आप हनुमान जी के युद्ध से जुड़े अन्य मंत्रों के बारे में जानना चाहते हैं, तो हनुमान वडवानल स्तोत्र और कार्य सिद्धि हनुमान मंत्र पढ़ें।
हनुमान जी के इन रूपों की पूजा करने से न केवल संकटों से मुक्ति मिलती है, बल्कि जीवन में एक नई ऊर्जा और दिशा का भी अनुभव होता है। इसलिए, इस स्तोत्र का नियमित पाठ करना प्रत्येक व्यक्ति के लिए लाभकारी हो सकता है।
नमस्ते, मैं सिमरन, हिंदू प्राचीन इतिहास और संस्कृति की गहन अध्येता और लेखिका हूँ। मैंने इस क्षेत्र में वर्षों तक शोध किया है और अपने कार्यों के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त किए हैं। मेरा उद्देश्य हिंदू धर्म के शास्त्रों, मंत्रों, और परंपराओं को प्रामाणिक और सरल तरीके से पाठकों तक पहुँचाना है। मेरे साथ जुड़ें और प्राचीन भारतीय ज्ञान की गहराई में उतरें।🚩🌸🙏