नमस्कार इस पृष्ठ पर राम भक्त हनुमान जी के संकट मोचन हनुमानाष्टक पाठ की प्रस्तुति है जिसकी संरचना गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा की गई थी । जिस समय तुलसीदास जी अपने कर्मस्थल मे राम कथा का गुणगान करते थे तब वह पर एक कोढी मनुष्य रामकथा सुनने आता था और कथा के बाद चुपचाप वहा से चला जाता था ।
एक दिन गोस्वामी जी ने उसका पीछा करने का सोचा उन्हें कुछ अलग अनुभूति हुई स्वामी जी ने तुरन्त उस मनुष्य के पैर पकड़ लिए और उनसे अपने वास्तविक रूप मे आने को कहा। राम भक्त अंजनिपुत्र प्रकट हुए और तुलसीदास जी को प्रेरणा दी। अपने इष्टदेव को देख के तुलसीदास जी धन्य हो गए और उन्होंने कई अमर रचनाओं के साथ साथ संकट मोचन हनुमानाष्टक की भी रचना की।
हनुमान जी को सिर्फ कलयुग मे ही नही बल्कि हर युग मे अपने भक्तो का संकट हरने वाले भगवान माने जाते है इसलिए हनुमान जी को संकटमोचन के नाम से भी जाना जाता है संकट मोचन हनुमानाष्टक अष्टपदीय यह स्तुतिपाठ हनुमानजी को उनकी शक्तियों का भान कराता है इससे प्रसन्न होकर वे भक्तों के सब कष्ट हर लेते हैं।बालपन में अति नटखट हनुमान समस्त शक्तियों को प्रयोग अपने बाल सुलभ क्रीड़ाओं में करते थे। इस पर ऋषि ने उन्हे श्राप दिया कि जब तक उन्हें उऩकी शक्तियों का स्मरण न कराया जाए वे शक्तियां विस्मृत रहेंगी। रामचरित्मानस में भी जामवंत ने महाबली हनुमानजी को उऩकी शक्तियां याद करवाई थीं।
संकट मोचन हनुमानाष्टक (Sankat Mochan Hanuman Ashtak lyrics)
संकट मोचन हनुमानाष्टक के पाठ से कोई दोष या प्रेत बाधा से भी मुक्ति पाई जा सकती है । अगर आपके जीवन मे कोई बिना वजह की कठिनाई आ रही हो तो दिन 21 दिन तक लगातार संकट मोचन हनुमानाष्टक का पाठ की आपकी सभी कठिनाइ दूर हो जाएगी। बोलो जय श्री राम। जय हनुमान ।
प्रथम पद-
हनुमानाष्टक के प्रथम पद में सूर्य को फल समझ मुंह में भर लेने का वर्णन किया गया है.
बाल समय रवि भक्षि लियो तब,
तीनहुं लोक भयो अंधियारों ।
ताहि सो त्रास भयो जग को,
यह संकट काहु सों जात न टारो ।
देवन आनि करी विनती तब,
छाड़ि दियो रवि कष्ट निवारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि
संकट मोचन नाम तिहारो।। १।।
दूसरे पद –
हनुमानाष्टक के दूसरे पद में महामुनि से मिले श्राप का वर्णन किया गया है-
बालि की त्रास कपीस बसै गिरि,
जात महाप्रभु पंथ निहारो।
चौंकि महामुनि शाप दियो तब ,
चाहिए कौन बिचार बिचारो।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,
सो तुम दास के शोक निवारो।।२।।
तृतीय पद –
हनुमानाष्टक के तृतीय पद में आराध्यदेव श्रीराम की भार्या जनकसुता सीताजी की सुधि लेने की प्रेरणा का वर्णन है.
अंगद के संग लेन गए सिय,
खोज कपीश यह बैन उचारो।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु ,
बिना सुधि लाये इहां पगु धारो।
हेरी थके तट सिन्धु सबै तब,
लाए सिया-सुधि प्राण उबारो।।३।।
चौथे पद –
हनुमानाष्टक के चौथे पद में अशोक वाटिका में सीताजी से भेंट करने और उन्हें श्रीराम की मुद्रिका देकर शोकमुक्त करने का वर्णन है.
रावण त्रास दई सिय को तब ,
राक्षसि सो कही सोक निवारो।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु ,
जाए महा रजनीचर मारो।
चाहत सीय असोक सों आगिसु ,
दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो।।४।।
पांचवे पद-
हनुमानाष्टक के पांचवे पद में मेघनाद की शक्तिघात से रक्षा के लिए संजीवनी बूटी लाने की चित्रण है.
बान लग्यो उर लछिमन के तब ,
प्राण तजे सुत रावन मारो।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत ,
तबै गिरि द्रोण सुबीर उपारो।
आनि संजीवन हाथ दई तब ,
लछिमन के तुम प्रान उबारो।।५।।
छठे पद-
हनुमानाष्टक के छठे पद में दशानन रावण के नागपाश से राम-लक्ष्मण और समस्त रामसेना मोहपाश से मुक्त कराने गरुड़देव को बुलाने का वर्णन है.
रावन युद्ध अजान कियो तब ,
नाग कि फांस सबै सिर डारो।
श्री रघुनाथ समेत सबै दल ,
मोह भयो यह संकट भारो।
आनि खगेस तबै हनुमान जु ,
बंधन काटि सुत्रास निवारो।।६।।
सतवां पद-
हनुमानाष्टक के सातवे पद मे पाताललोक के दैत्यराज अहिरावण से श्रीराम और लक्ष्मण की रक्षा का वर्णन है.
बंधु समेत जबै अहिरावन,
लै रघुनाथ पताल सिधारो।
देवहिं पूजि भली विधि सों बलि ,
देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो।
जाये सहाए भयो तब ही ,
अहिरावन सैन्य समेत संहारो।।७।।
अंतिम पद-
हनुमानाष्टक के अंतिम पद मे भक्त स्वयं महावीर बजरंगबली हनुमान से अपने कष्ट हरने की प्रार्थना करता है. आग्रह करता है कि जो भी संकट हो हमारा उसे महाप्रभु हर लें.
काज किये बड़ देवन के तुम ,
बीर महाप्रभु देखि बिचारो।
कौन सो संकट मोर गरीब को ,
ओजो तुमसो नहिं जात है टारो।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु ,
जो कछु संकट होए हमारो।।८।।
।। दोहा ।।
लाल देह लाली लसे , अरु धरि लाल लंगूर I
बज्र देह दानव दलन , जय जय जय कपि सूर II
Sankat Mochan Hanumanashtak video
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संकट मोचन हनुमानाष्टक के फायदे ( Sankat Mochan Hanuman Ashtak benifits)
- रोग मुक्ति – माना जाता है कि जो व्यक्ति विधि विधान के साथ मंगलवार के दिन सुबह और शाम हनुमान अष्टक का पाठ करता है वह सदैव सभी प्रकार के शारीरिक एवम् मानसिक रोगो से दूर रहता है।
- दोष और प्रेत बाधा – यदि आपको को लगता है की किसी व्यक्ति पर दोष या भूत प्रेत बाधा है तो हनुमान अष्टक का पाठ उस व्यक्ति को करवाए या उसके सामने बैठ के करे । इससे व्यक्ति को दोष से मुक्ति प्राप्त हो सकती है।
- परशानी से मुक्ति – यदि आपके जीवन में बिना वजह कोई परेशानी चल रही है तो हनुमान अष्टक का पाठ आपके लिए लाभकारी हो सकता है।यदि आप प्रतिदिन सात बार संकट मोचन का पाठ करते हैं और ऐसा लगातार 21 दिन तक करते हैं तो आपके जीवन में आ रहा बड़े से बड़ा संकट टल सकता है।
- ग्रह शांति – घर में फैली अशांति को दूर करने के लिए प्रतिदिन हनुमान अष्टक का पाठ करना लाभकारी होता है।
FAQs – संकट मोचन हनुमानाष्टक से जुड़े सवाल और उनके जवाब
1: संकट मोचन हनुमानाष्टक क्या है ?
यह एक ऐसे पाठ है जिसको करने से व्यक्ति को हर बाधा और पीड़ा से मुक्ति मिलती है ।
2: हनुमान अष्टक पाठ पढ़ने से क्या होता है ?
हनुमान अष्टक का पाठ सही तरह से पूरी श्रद्धा के साथ करने से सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है ।
3: हनुमान अष्टक का पाठ कैसे करना चाहिए?
यह पाठ करने के लिए पाठ स्थान पर राम जी और हनुमान जी की तस्वीर रखें और एक घी का दिया जलाए । तांबे के लोटे मे जल भर के रखें और श्रद्धा और भक्ति से भगवान हनुमान का ध्यान कर और पाठ करे ।
4: हनुमान अष्टक का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
हनुमान अष्टक का पाठ हर मंगलवार को नियमित रूप से करना चाहिए। यही व्यक्ति को किस प्रकार की परेशानी है तो दिन मे 7 बार 21 दिन तक लगातार पाठ करना चाहिए।
नमस्ते, मैं सिमरन, हिंदू प्राचीन इतिहास और संस्कृति की गहन अध्येता और लेखिका हूँ। मैंने इस क्षेत्र में वर्षों तक शोध किया है और अपने कार्यों के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त किए हैं। मेरा उद्देश्य हिंदू धर्म के शास्त्रों, मंत्रों, और परंपराओं को प्रामाणिक और सरल तरीके से पाठकों तक पहुँचाना है। मेरे साथ जुड़ें और प्राचीन भारतीय ज्ञान की गहराई में उतरें।🚩🌸🙏