शट्तिला एकादशी, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है जो माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को आता है। इस दिन व्रत करने और भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह एकादशी विशेष रूप से तिल का उपयोग करने के कारण प्रसिद्ध है। तिल का सेवन, दान और तिल से जुड़ी पूजा इस दिन को अद्वितीय बनाती है।
पूजा विधि की बात करें तो सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। तिल, गंगाजल, पुष्प, धूप, दीप और तुलसी के पत्तों से भगवान विष्णु की पूजा करें। शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है।
शट्तिला एकादशी पर तिल का प्रयोग विशेष महत्व रखता है। तिल का स्नान, तिल का दान, तिल से हवन और तिल से बनी सामग्री का सेवन करने से व्यक्ति को शुभ फल मिलता है। इस व्रत को करने से शरीर और आत्मा दोनों शुद्ध होते हैं और भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
शक्तिशाली मंत्रों का जाप क्यों है जरूरी?
मंत्रों का जाप हमारी आत्मा और मन को शुद्ध करता है। यह हमें भगवान के और करीब लाता है। जब हम श्रद्धा और भक्ति से मंत्रों का जाप करते हैं, तो हमारी ऊर्जा सकारात्मक हो जाती है। शास्त्रों में कहा गया है कि मंत्रों का सही उच्चारण और समर्पण के साथ जाप करने से ईश्वर की कृपा जल्दी प्राप्त होती है।
शट्तिला एकादशी पर मंत्र जाप का विशेष महत्व है क्योंकि यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। मंत्र जाप के माध्यम से हम अपनी प्रार्थना सीधे भगवान तक पहुंचा सकते हैं। इससे न केवल हमारा मन शांत होता है बल्कि आध्यात्मिक उन्नति भी होती है।
मंत्रों का जाप हमें मानसिक बल प्रदान करता है और हमारे मन में छिपे नकारात्मक विचारों को दूर करता है। जब हम भगवान के नाम का उच्चारण करते हैं, तो हमारी आत्मा पवित्र हो जाती है। शट्तिला एकादशी पर मंत्रों का जाप करने से हमें भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

इन 5 मंत्रों का जाप करें, श्रीहरि की कृपा आपके साथ रहेगी
शट्तिला एकादशी पर भगवान विष्णु की आराधना के लिए विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है। नीचे दिए गए 5 मंत्र भगवान विष्णु के लिए समर्पित हैं। इन मंत्रों का जाप करने से भगवान की अपार कृपा प्राप्त होती है।
1. पहला मंत्र: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”
यह मंत्र भगवान विष्णु को समर्पित सबसे पवित्र मंत्रों में से एक है। इसका जाप करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं। यह मंत्र हमारे मन और आत्मा को शुद्ध करता है और हमें सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।
2. दूसरा मंत्र: “ॐ श्री कृष्णाय श्री हरयि नमः”
यह मंत्र भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है। इसका जाप करते समय मन को शांत रखें और भगवान कृष्ण के दिव्य स्वरूप का ध्यान करें। इस मंत्र से जीवन की सभी परेशानियां समाप्त होती हैं और सुख-शांति प्राप्त होती है।
3. तीसरा मंत्र: “ॐ त्तत्सत् श्री कृष्णार्पणमस्तु”
यह मंत्र हमें अपनी सभी इच्छाओं और कर्मों को भगवान कृष्ण को समर्पित करने की प्रेरणा देता है। इसका जाप हमारे अहंकार को खत्म करता है और हमें ईश्वर की शरण में ले जाता है।
4. चौथा मंत्र: “ॐ हृषीकेशाय नमः”
भगवान विष्णु का यह नाम ‘हृषीकेश’ उनके सभी इंद्रियों के स्वामी होने का प्रतीक है। इस मंत्र का जाप करने से हमारी इंद्रियां नियंत्रित होती हैं और जीवन में शांति आती है।
5. पांचवां मंत्र: “ॐ श्री वासुदेवाय नमः”
यह मंत्र भगवान विष्णु को उनकी वासुदेव स्वरूप में समर्पित है। इसका जाप करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और हमें आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है।

Shattila Ekadashi पूजा से लाभ
शट्तिला एकादशी व्रत और पूजा करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ होते हैं बल्कि भौतिक जीवन में भी सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। इस दिन तिल का दान और मंत्रों का जाप करने से मनुष्य को दैवीय शक्ति प्राप्त होती है।
इस व्रत के लाभों में सबसे महत्वपूर्ण है पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति। इसके अलावा, यह व्रत परिवार में सुख-शांति और समृद्धि लाता है। जो लोग इस व्रत को पूरी श्रद्धा और भक्ति से करते हैं, उनके जीवन में भगवान विष्णु का आशीर्वाद बना रहता है।
शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि शट्तिला एकादशी पर दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। खासकर तिल का दान बहुत महत्वपूर्ण है। तिल का दान व्यक्ति को पवित्र करता है और सभी प्रकार के दोषों को समाप्त करता है।
इस व्रत को करने से न केवल व्यक्ति का वर्तमान जीवन सुखमय होता है बल्कि उसे अगले जन्म में भी शुभ फल प्राप्त होते हैं। इसलिए, शट्तिला एकादशी पर व्रत, पूजा और मंत्र जाप अवश्य करें और भगवान विष्णु की कृपा से अपने जीवन को धन्य बनाएं।
शट्तिला एकादशी व्रत में तिल का महत्व
शट्तिला एकादशी पर तिल का विशेष महत्व है। इस दिन तिल का उपयोग विभिन्न तरीकों से किया जाता है, जैसे तिल का स्नान, तिल का दान, तिल से बने भोजन का सेवन और तिल से हवन करना। तिल को पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।
तिल का स्नान: शट्तिला एकादशी के दिन गंगाजल में तिल मिलाकर स्नान करना शुभ माना जाता है। यह शरीर और आत्मा दोनों को शुद्ध करता है।
तिल का दान: इस दिन तिल का दान करने से व्यक्ति के पाप खत्म होते हैं और उसे पुण्य प्राप्त होता है। यह दान आर्थिक और आध्यात्मिक समृद्धि लाने में सहायक होता है।
तिल से हवन: हवन में तिल का उपयोग करने से वातावरण शुद्ध होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
तिल से बना भोजन: तिल से बने लड्डू, खिचड़ी और अन्य व्यंजन इस दिन प्रसाद के रूप में ग्रहण किए जाते हैं।
तिल का यह महत्व हमें यह सिखाता है कि जीवन में छोटे-छोटे कार्य भी बड़े परिणाम ला सकते हैं। यह एकादशी हमें हर चीज के महत्व को पहचानने और अपनी आत्मा को शुद्ध करने की प्रेरणा देती है।
शट्तिला एकादशी पर ध्यान और भजन का महत्व
शट्तिला एकादशी पर पूजा और व्रत के साथ-साथ ध्यान और भजन का भी बहुत महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु के भजनों का गान करने से मन को शांति मिलती है और आत्मा पवित्र होती है। ध्यान के माध्यम से हम अपनी ऊर्जा को केंद्रित कर सकते हैं और भगवान के प्रति अपनी भक्ति को गहरा कर सकते हैं।
ध्यान करने के लिए शांत स्थान का चयन करें। भगवान विष्णु के स्वरूप की कल्पना करें और उनके किसी मंत्र का मन में जाप करें। यह प्रक्रिया न केवल हमारे मन को शांत करती है बल्कि हमें भगवान से जोड़ती है।
भजन गाने से घर का वातावरण पवित्र होता है। यह भक्ति का एक सशक्त माध्यम है, जो हमें भगवान की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है। शट्तिला एकादशी पर किए गए भजन और ध्यान से मनुष्य को मानसिक और आध्यात्मिक शांति मिलती है।
शट्तिला एकादशी के पौराणिक प्रसंग
शट्तिला एकादशी से जुड़ी एक पौराणिक कथा है, जो इसके महत्व को समझाती है। कहा जाता है कि एक बार एक साध्वी, जो भगवान विष्णु की परम भक्त थी, अपने शरीर की देखभाल पर ध्यान नहीं देती थी। भगवान विष्णु ने उसे दर्शन दिए और उससे पूछा कि वह दूसरों की मदद तो करती है, लेकिन अपने शरीर और भोजन की उपेक्षा क्यों करती है।
भगवान ने उसे शट्तिला एकादशी का व्रत करने की सलाह दी और तिल का उपयोग करके अपने शरीर और आत्मा को शुद्ध करने का महत्व बताया। साध्वी ने भगवान के निर्देशों का पालन किया और व्रत किया। इससे उसे न केवल मोक्ष की प्राप्ति हुई बल्कि भगवान विष्णु का अनंत आशीर्वाद भी मिला।
यह कथा हमें यह सिखाती है कि शट्तिला एकादशी न केवल आत्मा की शुद्धि के लिए है बल्कि हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है।
शट्तिला एकादशी का आध्यात्मिक संदेश
शट्तिला एकादशी हमें यह सिखाती है कि भगवान की भक्ति से बड़ा कोई साधन नहीं है। यह व्रत हमें हमारे जीवन में साधना, तप और दान का महत्व सिखाता है। भगवान विष्णु के प्रति हमारी भक्ति और समर्पण ही हमें जीवन के सभी कष्टों से मुक्त कर सकते हैं।
इस दिन का मुख्य संदेश है—सादगी, पवित्रता और समर्पण। तिल के माध्यम से यह एकादशी हमें यह सिखाती है कि छोटे-छोटे प्रयास भी बड़े परिणाम ला सकते हैं। यह हमें यह भी याद दिलाती है कि हर व्यक्ति के जीवन में दान, भक्ति और सेवा का महत्व है।
शट्तिला एकादशी के व्रत को पूरे नियम और भक्ति के साथ करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। यह दिन हमें अपने कर्मों की शुद्धि और आत्मा के उत्थान का अवसर प्रदान करता है।
निष्कर्ष
शट्तिला एकादशी केवल एक व्रत नहीं है, बल्कि यह एक अवसर है अपने जीवन को भगवान विष्णु की कृपा से पवित्र और समृद्ध बनाने का। इस दिन तिल का दान, पूजा, मंत्र जाप, और भक्ति से जुड़े सभी कार्य हमें आध्यात्मिक ऊंचाई तक ले जाते हैं।
तो इस शट्तिला एकादशी पर पूरे मन और श्रद्धा के साथ व्रत रखें, भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें, और उनकी कृपा से अपने जीवन को धन्य बनाएं। भगवान श्रीहरि की कृपा से आपके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का वास हो।
नमस्ते, मैं अनिकेत, हिंदू प्राचीन इतिहास में अध्ययनरत एक समर्पित शिक्षक और लेखक हूँ। मुझे हिंदू धर्म, मंत्रों, और त्योहारों पर गहन अध्ययन का अनुभव है, और इस क्षेत्र में मुझे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। अपने ब्लॉग के माध्यम से, मेरा उद्देश्य प्रामाणिक और उपयोगी जानकारी साझा कर पाठकों की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक यात्रा को समृद्ध बनाना है। जुड़े रहें और प्राचीन हिंदू ज्ञान के अद्भुत संसार का हिस्सा बनें!






















