यह 2000 साल पुराना योगासन साइंस भी मान चुकी है!

यह 2000 साल पुराना योगासन साइंस भी मान चुकी है!

2000 साल पुराना योगासन आज भी उतना ही प्रभावी है जितना प्राचीन समय में था। आधुनिक विज्ञान भी इस योगासन के फायदों को मान चुका है। यह न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभदायक है। इस लेख में हम जानेंगे कि यह 2000 साल पुराना योगासन क्या है, इसका इतिहास, लाभ, और इसे करने का सही तरीका।

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2000 साल पुराना योगासन क्या है?

योग भारत की प्राचीन परंपरा का हिस्सा रहा है और इसके अनेक आसनों का उल्लेख वेदों और उपनिषदों में मिलता है। यह 2000 साल पुराना योगासन “शीर्षासन” (Headstand) है, जिसे योग की दुनिया में “आसन का राजा” भी कहा जाता है।

शीर्षासन में व्यक्ति अपने सिर के बल खड़ा होता है, जिससे रक्त संचार बेहतर होता है और मानसिक शांति मिलती है।

शीर्षासन का महत्व:

  • योग ग्रंथों के अनुसार, यह आसन मस्तिष्क को ऊर्जा देता है।
  • शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
  • ध्यान और मानसिक एकाग्रता में मदद करता है।

योगासन का इतिहास और विज्ञान क्या कहता है?

योगासन का इतिहास हज़ारों साल पुराना है। प्राचीन ऋषि-मुनियों ने शरीर और मन को संतुलित रखने के लिए योग का अभ्यास किया।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से:

आधुनिक वैज्ञानिक शोध भी इस बात को मानते हैं कि 2000 साल पुराना योगासन यानी शीर्षासन का अभ्यास करने से दिमाग को अधिक ऑक्सीजन मिलती है, जिससे सोचने और याददाश्त की शक्ति बढ़ती है।

वैज्ञानिक लाभ:

  • रक्त प्रवाह को नियंत्रित करता है।
  • हार्मोन बैलेंस बनाए रखता है।
  • तनाव और चिंता को कम करता है।

योगासन के फायदे

i) मानसिक स्वास्थ्य में सुधार

शीर्षासन को नियमित करने से तनाव, डिप्रेशन और चिंता कम होती है। यह योगासन दिमाग को शांत और स्थिर बनाता है।

ii) रक्त संचार को बढ़ावा

यह 2000 साल पुराना योगासन हृदय और मस्तिष्क के बीच बेहतर रक्त संचार सुनिश्चित करता है, जिससे ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है।

iii) पाचन में सुधार

शीर्षासन करने से पाचन तंत्र मजबूत होता है और अपच, गैस की समस्या दूर होती है।

iv) त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद

रक्त संचार बढ़ने से त्वचा में निखार आता है और बालों का झड़ना कम होता है।

v) शरीर को मजबूत बनाता है

इस योगासन से मांसपेशियां मजबूत होती हैं और शरीर का संतुलन बेहतर बनता है।

योगासन करने का सही तरीका

स्टेप 1: सबसे पहले एक समतल जगह पर योग मैट बिछाएं।
स्टेप 2: घुटनों के बल बैठें और कोहनियों को ज़मीन पर टिकाएं।
स्टेप 3: हाथों की उंगलियों को आपस में जोड़ें और सिर को हथेलियों के बीच रखें।
स्टेप 4: धीरे-धीरे पैरों को ऊपर उठाएं और संतुलन बनाए रखें।
स्टेप 5: कुछ सेकंड तक इसी स्थिति में रहें और फिर धीरे-धीरे वापस आएं।

सावधानियां:

  • शुरुआत में किसी प्रशिक्षक की देखरेख में करें।
  • उच्च रक्तचाप या सर्वाइकल की समस्या हो तो यह आसन न करें।
  • इसे करने से पहले थोड़ा वार्म-अप ज़रूर करें।

क्या वैज्ञानिक शोध भी इसे मानते हैं?

हां, कई शोध पत्रों और वैज्ञानिक अध्ययन ने 2000 साल पुराने योगासन यानी शीर्षासन के स्वास्थ्य लाभों को प्रमाणित किया है।

i) नर्वस सिस्टम पर प्रभाव

शोध बताते हैं कि शीर्षासन करने से सेंट्रल नर्वस सिस्टम (Central Nervous System) को मजबूती मिलती है, जिससे दिमाग शांत और अधिक केंद्रित रहता है।

ii) हार्मोनल संतुलन बनाए रखता है

डॉक्टर्स और वैज्ञानिक मानते हैं कि शीर्षासन करने से थायरॉयड, पिट्यूटरी और एड्रिनल ग्लैंड का संतुलन बना रहता है, जिससे शरीर में हार्मोन्स सही तरीके से काम करते हैं।

iii) हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (AHA) के अनुसार, उल्टा खड़े होने वाले योगासन से हृदय को अधिक ऑक्सीजन और रक्त संचार मिलता है, जिससे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या कम हो सकती है।

iv) तनाव और चिंता को कम करता है

एक शोध में पाया गया कि जो लोग नियमित रूप से शीर्षासन करते हैं, उनके कॉर्टिसोल हार्मोन (तनाव का कारण बनने वाला हार्मोन) का स्तर कम होता है, जिससे तनाव और चिंता घटती है।

क्या इस योगासन के कोई नुकसान हो सकते हैं?

हालांकि 2000 साल पुराना योगासन कई लाभ देता है, लेकिन अगर इसे गलत तरीके से किया जाए तो कुछ परेशानियां हो सकती हैं।

i) गर्दन और रीढ़ की हड्डी को नुकसान

अगर यह योगासन सही तरीके से नहीं किया गया तो गर्दन और रीढ़ पर अधिक दबाव आ सकता है, जिससे दर्द या चोट लग सकती है।

ii) हाई ब्लड प्रेशर वाले लोग सावधानी बरतें

जो लोग हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से जूझ रहे हैं, उन्हें यह आसन डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं करना चाहिए।

iii) दिल की बीमारियों में बचाव करें

दिल के मरीजों को यह आसन करने से पहले योग विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

iv) शुरुआती लोगों को ध्यान रखना चाहिए

जो लोग पहली बार इस आसन को कर रहे हैं, उन्हें किसी योग गुरु की देखरेख में इसे करना चाहिए।

अन्य महत्वपूर्ण प्राचीन योगासन

अगर आप योग में रुचि रखते हैं, तो 2000 साल पुराना योगासन (शीर्षासन) के अलावा भी कई योगासन हैं, जो हजारों वर्षों से प्रभावी माने जाते हैं।

i) सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar)

  • शरीर को ऊर्जा देता है
  • सभी प्रमुख मांसपेशियों को मजबूत करता है

ii) हलासन (Halasana)

  • पेट की चर्बी कम करता है
  • रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है

iii) वृक्षासन (Vrikshasana)

  • मानसिक संतुलन और ध्यान बढ़ाता है
  • एकाग्रता में सुधार करता है

iv) भुजंगासन (Bhujangasana)

  • पीठ दर्द को दूर करता है
  • फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है

क्या यह योगासन रोज़ करना चाहिए?

अगर आप इस 2000 साल पुराने योगासन को अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहते हैं, तो कुछ बातों का ध्यान रखें:

सुबह के समय करें – सुबह के समय इसे करने से दिमाग और शरीर को अधिक ऊर्जा मिलती है।
खाली पेट करें – योगासन करने से पहले 4-5 घंटे तक कुछ न खाएं।
अच्छे योग मैट का उपयोग करें – सही ग्रिप और बैलेंस के लिए एक अच्छा योग मैट इस्तेमाल करें।
धीरे-धीरे अभ्यास करें – शुरुआत में 10-15 सेकंड करें और धीरे-धीरे समय बढ़ाएं।

निष्कर्ष

2000 साल पुराना योगासन यानी शीर्षासन न केवल योगशास्त्र में महत्वपूर्ण है, बल्कि विज्ञान भी इसके फायदों को मान चुका है। यह योगासन दिमाग, हृदय, पाचन और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है। हालांकि, इसे सावधानीपूर्वक और सही तरीके से करना ज़रूरी है।

अगर आप योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहते हैं, तो इस अद्भुत योगासन को ज़रूर आज़माएं!

क्या आप इस योगासन को अपनाने के लिए तैयार हैं? हमें कमेंट में बताएं!

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